नैन फागुनी
रूप चंदनी तन सबने देखा,
पर मीरा की
कविता वाला मन किसने देखा ?
कानों में चंदा का कुंडल
पहन चाँदनी साड़ी,
तारों वाली ओढ़ ओढ़नी
फिरती महल-अटारी ।
केश जामुनी अधर गुलाबी
तन सबने देखा,
पर मीरा का
ममता वाला मन किसने देखा ?
संबंधों की मौलश्री नित
अगवानी करती,
यौवन की निशिगंधा निशिदिन
प्रेमपत्र लिखती ।
हँसी सेंदुर प्रीत बावरी
तन सबने देखा
पर मीरा का
रमता वाला मन किसने देखा ?
जब भी महुआ तन से गंधों
के झरने झरते,
सपनों के टेसू वन मिलनों
के उत्सव रचते ।
वैन बाँसुरी
पाँव पांखुरी तन सबने देखा
पर मीरा का
समता वाला मन किसने देखा ?